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अकबर का मक़बरा, सिकंदरा: मुग़लिया हुकूमत का एक अनमोल खज़ाना

 

हैलो दोस्तो! आज हम बात करेंगे एक ऐसी जगह की जो इतिहास की किताबों से निकलकर जीवित हो उठती है – अकबर का मक़बरा, सिकंदरा। अगर आप आगरा घूमने जाते हैं, तो ताजमहल और आगरा फोर्ट तो सब देखते हैं, लेकिन सिकंदरा में स्थित यह मक़बरा एक छिपा हुआ रत्न है। यहाँ आकर लगता है जैसे समय ठहर गया हो, और मुग़ल बादशाह अकबर की महानता आज भी हवा में घुली हुई है। चलिए, इस ब्लॉग में हम आपको इसकी पूरी कहानी बताते हैं – इतिहास से लेकर वास्तुकला तक, और घूमने की टिप्स भी।

अकबर का इतिहास: एक महान बादशाह की आखिरी आरामगाह

अकबर, मुग़ल साम्राज्य के तीसरे और सबसे महान बादशाह थे, जिन्होंने 1556 से 1605 तक शासन किया। वे न सिर्फ एक विजेता थे, बल्कि धार्मिक सहिष्णुता, कला और संस्कृति के प्रेमी भी थे। अकबर ने हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध और जैन जैसे विभिन्न धर्मों को सम्मान दिया, और उनके दरबार में सभी का स्वागत था। उन्होंने मुग़ल साम्राज्य को इतना विस्तार दिया कि उत्तरी भारत का अधिकांश हिस्सा उनके अधीन आ गया।

मक़बरे का निर्माण अकबर ने खुद शुरू किया था, क्योंकि वे अपने इंतेक़ाल से पहले ही इसकी जगह चुन चुके थे। लेकिन 1605 में उनके इंतेक़ाल के बाद, उनके बेटे जहांगीर ने 1605 से 1613 तक इसे पूरा किया। इसकी लागत लगभग 15 लाख रुपये आई थी। बाद में, औरंगज़ेब के शासनकाल के बाद जाट विद्रोहियों ने इसे लूटा और बताया जाता है कि अकबर की हड्डियों को जलाया भी गया था। उसके बाद 1905 में ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड कर्जन ने इसकी मरम्मत का काम करवाया, जिससे आज हम इसे देख पा रहे हैं। यह मक़बरा 119 एकड़ में फैली हुआ है, और सिकंदरा, आगरा के उपनगर में स्थित है। दिलचस्प बात यह है कि अकबर की पत्नी मरियम-उज़-ज़मानी (जोधा बाई) का मक़बरा भी सिर्फ 1 किमी दूर है।

वास्तुकला: मुग़ल कला का अनोखा मिश्रण

अकबर का मक़बरा वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, लेकिन इसमें हिंदू राजपूताना, इस्लामी और गोथिक शैलियों का मिश्रण है। यह एक पांच मंजिला पिरामिड जैसा ढांचा है, जो ऊपर से एक संगमरमर के मंडप से ढकी हुई है। मुख्य रूप से लाल बलुआ पत्थर से बनी है, जिसमें सफेद संगमरमर और काले स्लेट की जड़ाई है। ज्यामितीय, फूलों वाली और कैलीग्राफी वाली डिजाइनें इसे और आकर्षक बनाती हैं। 

मक़बरे के चार दरवाजे हैं, लेकिन मुख्य प्रवेश द्वार दक्षिणी है – यह बुलंद दरवाजा जैसा लगता है, जिसमें चार सफेद संगमरमर के मीनार हैं। अंदर एक चारबाग बगीचा है, जो चार भागों में बंटा हुआ है और पानी की नहरें इसे पार करती हैं। असली कब्र तहखाने में है, जबकि ऊपर एक झूठी कब्र (सेनोटाफ) है, जो संगमरमर से बनी है। दिलचस्प बात यह कि ज्यादातर मुग़ल मक़बरे मक्का की ओर मुंह करती हैं, लेकिन यह पूर्व की ओर (सूर्योदय की दिशा में) है। हर मंजिल पर आर्केड, छत्रियां और जालीदार स्क्रीन हैं, जो हवा और रोशनी को अंदर आने देती हैं।

यहाँ की सजावट में सोने, हरे और नीले रंग की स्टुको पेंटिंग्स हैं, जो फारसी शिलालेखों से सजी हैं। मक़बरे में अकबर की दो बेटियों, शक्र-उन-निसा बेगम और आराम बानो बेगम की कब्रें भी हैं।

क्या देखें और क्या करें: एक शांतिपूर्ण अनुभव

समाधि में घूमते हुए सबसे पहले बग़ीचे की हरियाली और जानवरों की मौजूदगी ध्यान खींचती है। यहाँ हिरण, बंदर, मोर और विभिन्न पक्षी घूमते रहते हैं, जो इसे एक प्राकृतिक अभयारण्य जैसा बनाते हैं। मुख्य मक़बरे के अलावा, जोधा बाई की समाधि भी पास में है – दोनों को एक साथ देख सकते हैं। फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए यह जगह स्वर्ग है; लाल पत्थर की इमारत, हरे भरे बग़ीचे और जानवरों की तस्वीरें कमाल की आती हैं।

अंदर जाकर सेनोटाफ देखें, जो इस्लामी शैली में नक्काशीदार है। तहखाने का रास्ता कलात्मक है, लेकिन पर्यटकों के लिए बंद है। सिकंदरा बाजार में जाकर स्थानीय हस्तशिल्प खरीद सकते हैं, या पास के ढाबों में मुगलई खाना ट्राई करें।

घूमने की जानकारी: समय, शुल्क और कैसे पहुँचें

मक़बरा सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुला रहता है (सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक), और शुक्रवार को बंद नहीं होता। प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए 30 रुपये, सार्क/बिमस्टेक देशों के लिए 30 रुपये, और विदेशियों के लिए 310 रुपये। 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए मुफ्त। अगर आप ताजमहल का 500 रुपये का टोल टिकट लेते हैं, तो उसी दिन यहाँ टोल नहीं लगेगा। 

सबसे बेस्ट समय: नवंबर से फरवरी (सर्दी में), सुबह जल्दी जाकर भीड़ से बचें। कैसे पहुँचें: आगरा से 9 किमी दूर, मथुरा रोड पर। बस, ऑटो, ई-रिक्शा या टैक्सी से आ सकते हैं। आगरा कैंट रेलवे स्टेशन से 9.5 किमी, एयरपोर्ट से 10 किमी।

हमारी सलाह: क्यों जाएँ और क्या सावधानियाँ बरतें

यह जगह इतिहास प्रेमियों, फोटोग्राफरों और शांति की तलाश करने वालों के लिए परफेक्ट है। हम सलाह देंगे कि आरामदायक कपड़े और जूते पहनें, पानी साथ रखें, और बंदरों से सावधान रहें – वे चीजें छीन सकते हैं! गाइड लेना अच्छा रहेगा, ताकि कहानियाँ और जानकारियाँ मिलें।

अंत में, अकबर का मक़बरा सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि एक युग की याद है। यहाँ आकर आप मुग़ल साम्राज्य की महानता महसूस करेंगे। अगर आप आगरा जा रहे हैं, तो इसे अपनी लिस्ट में जरूर शामिल करें। आपका अनुभव कैसा रहा, कमेंट में बताइएगा! आपका सफ़र यादगार हो! 


तो दोस्तो आपको हमारा ये ब्लॉग कैसा लगा कंमेंट करके ज़रूर बताएं और अपने दोस्तों के साथ शेयर ज़रूर करें, बहुत शुक्रिया

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